नेहरू बाल पुस्तकालय >> एक रात जंगल में एक रात जंगल मेंक्षमा शर्मा
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चारों ओर घना जंगल था। उसमें कचनार, गुलमोहर, पीपल, सेमल, इमली, बरगद, नीम, आम, तथा और भी न जाने कितनी तरह के पेड़ थे। इन पेड़ों को किसी ने लगाया नहीं था।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
एक रात जंगल में
चारों ओर घना जंगल था। उसमें कचनार, गुलमोहर, पीपल, सेमल, इमली, बरगद,
नीम, आम, तथा और भी न जाने कितनी तरह के पेड़ थे। इन पेड़ों को
किसी
ने लगाया नहीं था। ये अपने आप ही उग आए थे। जब वसंत आने को होता तो जंगल
तरह-तरह के फूलों की खुशबू से महक उठता। जिधर देखो उधर ही चिडियों के मीठे
गीत सुनाई देते।
जंगल में पेड़ों के अलावा, शेर, चीते, हिरन, हाथी, बंदर आदि पशु भी रहते थे। गुस्सा आने पर जब शेर दहाड़ता था तो बहुत बार बंदर जमीन गिर पड़ते थे। जब भी कोई शिकारी जानवर पास से गुजरता, चिड़ियां शोर मचा-मचाकर बाकी जानवरों को सावधान कर देतीं।
एक बार की बात है। बहुत तेज गरमी पड़ी। जंगल में जानवरों की प्यास बुझाने वाला इकलौता बड़ा तालाब भी सूख गया। चारों ओर हाहाकार मच गया। सारे जानवर जंगल छोड़-छोड़ कर भागने लगे। चिड़ियां दूर देश को उड़ गयीं। शेर-चीतों ने दूसरे जंगल में बसेरा किया।
हिरन खेतों की तरफ निकल गये और उसमें से कई आसानी से लोगों द्वारा शिकार कर लिए गये। गरमी, प्यास और धूप से हाथी भी परेशान थे। वे जिधर जाते उधर ही उनको न खाने के लिए कुछ मिलता, न पानी ही। भीषण गरमी से जंगल के बाकी छोटे-छोटे तालाब भी सूख चुके थे। हथिनी माताएं अपने बच्चों की भूख-प्यास के कारण ज्यादा परेशान थीं।
जंगल में पेड़ों के अलावा, शेर, चीते, हिरन, हाथी, बंदर आदि पशु भी रहते थे। गुस्सा आने पर जब शेर दहाड़ता था तो बहुत बार बंदर जमीन गिर पड़ते थे। जब भी कोई शिकारी जानवर पास से गुजरता, चिड़ियां शोर मचा-मचाकर बाकी जानवरों को सावधान कर देतीं।
एक बार की बात है। बहुत तेज गरमी पड़ी। जंगल में जानवरों की प्यास बुझाने वाला इकलौता बड़ा तालाब भी सूख गया। चारों ओर हाहाकार मच गया। सारे जानवर जंगल छोड़-छोड़ कर भागने लगे। चिड़ियां दूर देश को उड़ गयीं। शेर-चीतों ने दूसरे जंगल में बसेरा किया।
हिरन खेतों की तरफ निकल गये और उसमें से कई आसानी से लोगों द्वारा शिकार कर लिए गये। गरमी, प्यास और धूप से हाथी भी परेशान थे। वे जिधर जाते उधर ही उनको न खाने के लिए कुछ मिलता, न पानी ही। भीषण गरमी से जंगल के बाकी छोटे-छोटे तालाब भी सूख चुके थे। हथिनी माताएं अपने बच्चों की भूख-प्यास के कारण ज्यादा परेशान थीं।
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